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मेरा प्यार ही मेरी पहचान …

कलम की आवाज़ से
कलम की आवाज़ से
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ना जाने कहाँ से आया,
और दिल में दस्तक दे गया ,
अपनी प्यारी-प्यारी बातों से ,
अपनी प्यारी-प्यारी मुस्कान से,
मेरा दिल ले गया |
ना जाने क्या पहचान थी ,
ना जाने क्या सवाल थे,
अपने प्यारे-प्यारे इज़हार से,
अपने प्यारे-प्यारे लफ्ज़ से,
मेरा दिल ले गया |
ना जाने क्या वक़्त था,
ना जाने क्या वादे थे,
अपने प्यारे-प्यारे इरादों से,
अपने प्यारे-प्यारे शिकायतों से,
मेरा दिल ले गया |
ना जाने क्यों वो हमसे दूर हुए,
ना जाने क्यों हमसे रूठे,
अपनी प्यारे-प्यारे गुस्से से,
अपने प्यारे -प्यारे डाट से,
मेरा दिल ले गए |

ना जाने किस वक़्त का इंतेज़ार था ,
ना जाने किन यादों का साथ था ,
अपने प्यारे-प्यारे बातों से,
अपने प्यारे-प्यारे मुस्कान से ,
मेरा दिल ले गया |
ना जाने हमें कहाँ ले आये है ,
ना जाने किस ख्वाबों की दुनिया है ,
पर अपने प्यार से अपने दुनिया में ,
मुझे वो अपना बना लिए |

( शालिनी राकेश कुमार )

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