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एक लड़का जाने क्यूँ ……………..

कलम की आवाज़ से
कलम की आवाज़ से
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एक लड़का है अनजाना सा,
न जाने क्या करता है ,
समुंद्र के किनारे पढता है ,
लेकिन न जाने क्यूँ ,
सुबह पांच बजे नहीं उठ पाता है |

एक लड़का है परेशान सा ,
न जाने क्या सोचता है ,
खुबसूरत शहर में रहता है ,
लेकिन ना जाने क्यूँ ,
सुबह पांच बजे नहीं उठ पाता है |

एक लड़का है आलसी सा,
जाने क्या आदत है ,
बिहारियों के बीच पला है,
लेकिन ना जाने क्यूँ ,
सुबह पांच बजे नहीं उठ पाता है |

एक लड़का है सुधरा सा ,
जाने क्या सपने है,
मेहनत करने में आगे है,
लेकिन ना जाने क्यूँ ,
सुबह पांच बजे नहीं उठ पाता था |

एक लड़का है जाने कैसा है ,
समझता तो है,
लेकिन ना जाने क्यूँ ,
सुबह पांच बजे नहीं उठ पाता है |

शालिनी शर्मा

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